हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने गुरुवार को सीरिया के राष्ट्रपति जनाब बश्शार असद और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में रेज़िस्टेंस को सीरिया की नुमायां पहचान बताया और कहा कि इलाक़े में सीरिया की विशेष पोज़ीशन भी इसी नुमायां पहचान की वजह से है जिसे बाक़ी रहना चाहिए।
उन्होंने ईरानी क़ौम के प्रति संवेदना जताने के लिए जनाब बश्शार असद के तेहरान आगमन का शुक्रिया अदा करते हुए ईरान और सीरिया के संबंधों को मज़बूत बनाने में मरहूम राष्ट्रपति जनाब रईसी के भारी योगदान की ओर इशारा किया और कहा कि जनाब अमीर अब्दुल्लाहियान भी इस सिलसिले में ख़ास तौर पर ध्यान देते थे।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने रेज़िस्टेंस के मोर्चे के दो अहम स्तंभों की हैसियत से ईरान और सीरिया के संबंधों में मज़बूती को अहम बताया और कहा कि सीरिया की नुमायां पहचान, जो रेज़िस्टेंस है, मरहूम हाफ़िज़ अल असद के राष्ट्रपति काल में,"रेज़िस्टेंस और दृढ़ता के मोर्चे" के गठन के साथ सामने आयी और इस पहचान ने सीरिया की राष्ट्रीय एकता में भी हमेशा मदद की है।
उन्होंने इस पहचान की रक्षा पर बल देते हुए कहा कि पश्चिम वाले और इलाक़े में उनके पिट्ठू, सीरिया के ख़िलाफ़ जंग शुरू करके इस मुल्क की राजनैतिक व्यवस्था को गिराना और सीरिया को इलाक़े के मुद्दों से दूर कर देना चाहते थे लेकिन वो इसमें सफल नहीं हुए और इस वक़्त भी वो कभी पूरे न होने वाले वादों जैसे दूसरे तरीक़ों से सीरिया को क्षेत्रीय समीकरणों से बाहर निकाल देने का इरादा रखते हैं।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने बश्शार असद की दृढ़ता की सराहना करते हुए कहा कि सीरियाई सरकार की ख़ास पहचान यानी रेज़िस्टेंस सबको साफ़ तौर पर नज़र आना चाहिए।
उन्होंने ईरान और सीरिया पर अमरीका और यूरोप के राजनैतिक व आर्थिक दबाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि हमें आपस में सहयोग बढ़ाकर और उसे व्यवस्थित बनाकर इन हालात से गुज़र जाना चाहिए।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने मुख़्तलिफ़ मैदानों में ईरान और सीरिया के सहयोग को बढ़ावा देने की ख़ातिर मरहूम राष्ट्रपति जनाब रईसी की मुस्तैदी की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस वक़्त जनाब मुख़बिर साहब, राष्ट्रपति के अधिकारों के साथ, उसी शैली को जारी रखेंगे और हमें उम्मीद है कि सभी मामले बेहतरीन तरीक़े से आगे बढ़ते रहेंगे।
उन्होंने ग़ज़ा के मसले में इलाक़े के कुछ मुल्कों के कमज़ोर स्टैंड की आलोचना करते हुए, मनामा में हालिया अरब शिखर बैठक की ओर इशारा किया और कहा कि इस कॉन्फ़्रेंस में फ़िलिस्तीन और ग़ज़ा के सिलसिले में बहुत सी कोताहियां हुयीं लेकिन कुछ मुल्कों ने अच्छे काम भी किए।
उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कि भविष्य के सिलसिले में इस्लामी गणराज्य की निगाह सकारात्मक है, कहा कि हमें उम्मीद है कि हम सब अपने फ़रीज़े पर अमल करेंगे और उस रौशन भविष्य तक पहुंचेंगे।
इस मुलाक़ात में सीरिया के राष्ट्रपति जनाब बश्शार असद ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता और ईरान सरकार और क़ौम के प्रति संवेदना जताते हुए आयतुल्लाह ख़ामेनेई से कहा कि ईरान और सीरिया के संबंध स्ट्रैटेजिक हैं जो आपके मार्गदर्शन में आगे बढ़ रहे हैं और इन निर्देशों को व्यवहारिक बनाने में सबसे आगे आगे जनाब रईसी और जनाब अमीर अब्दुल्लाहियान थे।
उन्होंने जनाब मरहूम रईसी साहब की विनम्र, विवेकपूर्ण और शिष्टाचारिक शख़्सियत की ओर इशारा करते हुए उन्हें इस्लामी इंक़ेलाब के नारों और नज़रियों का नुमायां प्रतीक बताया और कहा कि जनाब रईसी साहब ने पिछले तीन साल में, क्षेत्रीय मामलों और फ़िलिस्तीन के मसले में ईरान के किरदार अदा करने और इसी तरह ईरान और सीरिया के संबंधों की मज़बूती में प्रभावी तरीक़े से काम किया।
सीरिया के राष्ट्रपति ने इसी तरह इलाक़े में रेज़िस्टेंस के विषय की ओर इशारा करते हुए कहा कि 50 साल से ज़्यादा गुज़रने के बाद क्षेत्र में रेज़िस्टेंस आगे बढ़ रहा है और इस वक़्त वह एक राजनैतिक नज़रिए और आस्था में बदल गया है।
उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कि हमारा स्टैंड हमेशा से यह रहा है कि पश्चिम के मुक़ाबले में किसी भी रूप में पीछे हटना उनके चढ़ाई कर देने का सबब बनेगा, कहा कि मैंने कई साल पहले कहा था कि रेज़िस्टेंस में, साठगांठ से कम क़ीमत चुकानी पड़ती है और यह बात अब सीरिया के अवाम के लिए पूरी तरह स्पष्ट हो गयी है और ग़ज़ा के हालिया वाक़यों और रेज़िस्टेंस की फ़तह ने भी इलाके के अवाम के लिए इस बात को साबित कर दिया कि रेज़िस्टेंस एक बुनियादी उसूल है।
जनाब बश्शार असद ने इलाक़े में रेज़िस्टेंस के सपोर्ट में अहम और नुमायां किरदार अदा करने और इसी तरह सभी मामलों में सीरिया का सपोर्ट करने पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का शुक्रिया अदा किया और उनकी सराहना की।
जनाब बश्शार असद की इस बातचीत के बाद, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि आपकी बातचीत में कई अहम बिन्दु थे लेकिन एक बिन्दु मेरे लिए ज़्यादा अहम था और वह यह कि आपने ताकीद के साथ कहा कि "हम जितना भी पीछे हटेंगे, सामने वाला चढ़ाई करता रहेगा" इस बात में कोई शक नहीं है और यह पिछले 40 साल से हमारा नारा और नज़रिया रहा है।